
देशभर के शिक्षकों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में स्पष्ट किया गया था कि अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगा। कोर्ट के इस आदेश से लाखों शिक्षक प्रभावित हुए हैं और अब सबकी निगाहें इस विषय पर आने वाले नए निर्णयों पर टिकी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में शिक्षक पात्रता परीक्षा आवश्यक होगी। इस आदेश से न केवल नए उम्मीदवार प्रभावित हुए, बल्कि जो लंबे समय से पढ़ा रहे हैं, उन्हें भी इस नियम के तहत आना होगा। केवल उत्तर प्रदेश में ही करीब 2 लाख से अधिक शिक्षक इस फैसले की चपेट में आए हैं, जबकि देशभर में यह आंकड़ा लाखों तक पहुँच रहा है।
शिक्षकों की उम्मीदें और याचिकाएँ
इस फैसले के बाद कई राज्यों में शिक्षकों में असमंजस का माहौल है। खासकर उन शिक्षकों के बीच जो पहले से सेवा में हैं, यह चिंता और बढ़ गई है क्योंकि उन्हें अब पात्रता परीक्षा देनी पड़ सकती है। इसी वजह से अलग-अलग राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएँ दाखिल कर रही हैं।
यूपी सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने शिक्षकों के हित में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि पहले से कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य TET से छूट दी जाए। बताया जा रहा है कि याचिका दाखिल हो चुकी है, लेकिन कुछ कानूनी प्रक्रियाएँ अभी लंबित हैं। पूरी औपचारिकता पूरी होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के उन्हीं जजों के सामने रखी जाएगी जिन्होंने TET को अनिवार्य करने का आदेश दिया था।
आगे का रास्ता
अब सभी शिक्षकों और राज्यों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के आगामी रुख पर टिकी हुई हैं। अगर कोर्ट को लगेगा कि पिछले आदेश में कोई कानूनी त्रुटि रही है तो उसमें संशोधन संभव है। लेकिन अगर कोर्ट अपने फैसले पर कायम रहा तो शिक्षकों को TET से छूट मिलने की संभावना बेहद कम हो जाएगी।
फिलहाल स्थिति साफ नहीं है, लेकिन शिक्षकों को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें राहत मिलेगी। आने वाले कुछ हफ्ते शिक्षा जगत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, क्योंकि इसी दौरान यह तय होगा कि TET की अनिवार्यता से पहले से कार्यरत शिक्षकों को छूट मिलेगी या नहीं।